Monday 17 April 2017

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Wednesday 12 April 2017

इस तरह कुंडली में बनते हैं प्रेम विवाह के योग


आधुनिक जीवनशैली के साथ-साथ लोगों की सोच भी आधुनिक हो गई है लेकिन एक चीज़ है जो आज भी नहीं बदली है और वो है विवाह की रस्‍म। अब लोग प्रेम विवाह को ज्‍यादा महत्‍व देने लगे हैं। लेकिन ऐसा कतई भी जरूरी नहीं है कि आप प्रेम संबंध में हैं तो आपका प्रेम विवाह भी निश्चिही होगा।

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शास्‍त्रों में क्‍या है प्रेम विवाह का महत्‍व

हिंदू धर्म में 8 प्रकार के विवाह का विधान है जिसमें ब्रह्मा विवाह को सर्वश्रेष्‍ठ माना जाता है और पैशाच विवाह को सबसे नीचे की श्रेणी में रखा गया है। शास्‍त्रों के अनुसार गंधर्व विवाह को ही प्रेम विवाह कहा गया है। गंधर्व विवाह के अंतर्गत स्‍त्री और पुरुष अपनी मर्जी और अपनी पसंद से एक दूसरे से विवाह करते हैं।

किसका होता है प्रेम विवाह

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार किसी व्‍यक्‍ति का प्रेम विवाह होगा या नहीं ये उसकी कुंडली से ज्ञात किया जा सकता है। कुंडली में विराजमान ग्रहों की स्थिति से यह पता लगाया जा सकता है कि उस व्‍यक्‍ति के जीवन में प्रेम विवाह का योग है या नहीं। तो आइए जानते हैं कि किस तरह कुंडली से प्रेम विवाह के योग के बारे में पता लगाया जा सकता है।

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- ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली का सप्‍तम भाव विवाह का भाव होता है। यदि सप्‍तम भाव का संबंध कुंडली के तीसरे, पांचवे, नौंवे या बारहवें भाव से हो तो उस जातक का प्रेम विवाह होता है।

- लग्‍न स्‍थान के स्‍वामी और सप्‍तम भाव के स्‍वामी के बीच युति हो तो ऐसी स्थिति में जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।

- सौरमंडल के ग्रह गुरु और शुक्र विवाह के कारक ग्रह माने जाते हैं। लड़कियों की कुंडली में गुरु का पाप प्रभाव में होना और लड़के की कुंडली में शुक्र का पाप प्रभाव में होना प्रेम विवाह के योग का निर्माण करता है।

- इसके अलावा यदि लग्‍न भाव का स्‍वामी, पंचमेश के साथ युति कर रहा हो या दोनों का आपस में दृष्‍ट संबंध हो या राशि परिवर्तन हो तो उस जातक के प्रेम विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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- सप्‍तम या पंचम भाव या इन भावों के स्‍वामी पर राहु का प्रभाव हो या इन भावों का स्‍वामी तीसरे, पांचवें, सातवें, ग्‍यारहवें या बारहवें भाव में बैठा हो तो उस व्‍यक्‍ति का निश्चित ही प्रेम विवाह होता है।

- यदि कुंडली के नवम स्‍थान में धनु या मीन राशि हो या शनि या राहु की दृष्टि सप्‍तम, नवम या गुरु पर पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में उस जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।

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Thursday 6 April 2017

कुंडली में बन रहा ग्रहण योग कर सकता है आपको बर्बाद, जानें समाधान.......


शुभ और अशुभ योग

ज्‍योतिषशास्‍त्र में कई ऐसे शुभ और अशुभ योगों का वर्णन किया गया है जो अगर किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में बनते हैं तो उस व्‍यक्‍ति के जीवन और उसके भाग्‍य पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। ये शुभ और अशुभ योग या तो उस व्‍यक्‍ति के जीवन को खुशहाली से भर देते हैं या फिर उसे तबाह और बबार्द कर देते हैं।

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ग्रहण योग

अशुभ योगों में कालसर्प दोष, शकट योग, गजकेसरी योग, विषकन्‍या योग आदि आते हैं। ये योग किसी भी व्‍यक्‍ति के जीवन को कष्‍टों से भर देते हैं। इन्‍हीं अशुभ योगों की तरह ग्रहण योगभी होता है जो व्‍यक्‍ति के जीवन पर गहरा असर डालता है। आज हम जीवन पर ग्रहण योग के पड़ने वाले असर के बारे में जानेंगें।

कब बनता है ग्रहण योग

यदि कुंडली में चंद्रमा या सूर्य, राहू और केतु के प्रभावांतर्गत आते हैं यानि राहू-केतु का सूर्य-चंद्रमा से दृष्टि या युति संबंध हो तो उस जातक की कुंडली में ग्रहण योग बनता है। ये योग उस व्‍यक्‍ति को केवल कष्‍ट ही पहुंचाता है।

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कब नहीं देता अशुभ फल

पूर्ण रूपेण ग्रहण योग के निर्माण के लिए इन ग्रहों का स्‍वयं अशुभ स्‍थानों का स्‍वामी होना या फिर इनका अशुभ ग्रहों से कमज़ोर होना आवश्‍यक है। अगर किसी की कुंडली में शुभ भाव में चंद्र-सूर्य स्‍वामी बनकर बैठे हों या राहू-‍केतु का उनके साथ संयोग बन रहा हो तो ऐसी स्थिति में ग्रहण योग से अशुभ फल के स्‍थान पर शुभ फल प्राप्‍त होते हैं।

ग्रहण योग के प्रभाव

अगर कुंडली में ग्रहण योग बन रहा है तो ऐसी स्थिति में जातक को शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है। उसे अपमान, अपनों से अनबन, रोग, कर्ज, कलंक और राजदंड का सामना करना पड़ता है। कुंडली में जिन-जिन भावों पर राहू-केतु की नज़र पड़ रही हो, वह भाव पीडित होकर अपने से संबंधित बुरे फल प्रदान करते हैं।

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कैसे पाएं मुक्‍ति


अगर किसी की कुंडली में ग्रहण योग की वजह से अशुभ फल मिल रहे हैं तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा और सूर्य को मज़बूत करने और राहू-केतु को शांत करने के लिए उपाय करें। राहू-केतु को शांत करने के लिए भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना करें और चंद्रमा को प्रसन्‍न करने के लिए श्‍वेद वस्‍तुओं का प्रयोग और दान करें और सूर्य को प्रबल करने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें।