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Wednesday, 25 May 2016

पढिए गणेश चतुर्थी की व्रत विधि एवं कथा.....


भगवान गणेश की आराधना काफी शुभ मानी जाती है। मान्‍यता है कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले गणेश जी का पूजन करना शुभ एवं मंगलकारी होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश की विशेष पूजा एवं व्रत होता है। गणेश चतुर्थी का व्रत करने से समस्‍त परेशानियां खत्‍म होती हैं और गणेशजी का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों को पुत्र की इच्‍छा है वह लोग गणेश चतुर्थी का व्रत अवश्‍य रखें। गणेश जी की कृपा से शीघ्र ही पुत्र की प्राप्‍ति होती है। इसे गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। इस बार यह व्रत 25 मई, बुधवार को है।
व्रत एवं पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्‍त होकर दोपहर के समय अपनी इच्छा के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित करें। गणेश चतुर्थी व्रत का संकल्प लें। संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोड़शोपचार (16 सामग्रियों से) पूजन-आरती करें। 
व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह सहायता मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे।
देवताओं की बात सुनकर शिवजी ने कार्तिकेय व गणेशजी से पूछा कि तुममें से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है।
भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। परंतु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा।