गुरु ग्रह के प्रभाव में बुद्धि और बल में
वृद्धि होती है तो वहीं छाया ग्रह कहे जाने वाले राहु को हमेशा अनिष्टकारी बताया
गया है। बृहस्पति ग्रह देवताओं के गुरु हैं तो राहु राक्षसों के गुरु हैं। किसी
भी तरह से कुंडली में इन दोनों ग्रहों का संबंध होने पर गुरु चाण्डाल योग का निर्माण
होता है। कुंडली में गुरु और राहु की युति होने पर यह योग बनता है।
इन योगों से मिलेगा छप्पर फाड के धन
इसका सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव होता है कि
राहु के प्रभाव में आकर गुरु भी अशुभ फल देने लगता है। चाण्डाल योग से प्रभावित
जातक अपने ही गुरु से ईर्ष्या भाव रखने लगता है और उसका मन पराई स्त्रियों के
प्रति आकर्षित होता है। गुरु चाण्डाल योग बनने पर व्यक्ति चरित्रहीन बन जाता है
और समाज में उसे मान-प्रतिष्ठा की हानि होती है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति
सभी तरह के बुरे कर्मों मे लिप्त रहता है और हिंसक बनता है।
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कुंडली में राहु के मजबूत होने की स्थिति में
जातक अपने गुरु के कार्य को अपनाता तो है किंतु उनके सिद्धांतों को नहीं अपनाता।
ऐसा व्यक्ति अपने सामने अपने गुरु का अपमान चुपचाप देखता रहता है किंतु उसका
विरोध नहीं करता। वहीं अगर राहु की स्थिति कुंडली में कमजोर है तो व्यक्ति अपने
गुरु का सम्मान करता है।
नुकसान -:
यदि आपकी कुंडली में चाण्डाल योग बन रहा है तो आपको नौकरी अथवा अपने व्यापार
में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उसे मानसिक तनाव और अशांति
से गुज़रना पड़ता है। रात को नींद न आना, परीक्षाओं में असफलता मिलना, अपने काम में मन न लगना, अचानक धन खर्च होना जैसी समस्याओं का सामना करना
पड़ता है।