वृषभ राशि जातक अत्यधिक मेहनती व परिश्रम कुशल होते है। शुक्र का प्रभाव जातक के प्रत्येक कार्यो में सौंदर्यता की झलक दर्शाता है। तो दूसरी तरफ कर्म स्थान का मालिक शनि निरंतर परिश्रम दर्शाता है। वृषभ राशि जातक आसानी से दूसरों पर विश्वास कर लेते हैं। 2016 वर्ष इनके कार्य क्षेत्र में अत्यधिक सफलता देने वाला होगा।। वर्ष के प्रारम्भ में दशमेश के साथ युति कर शुक्र सप्तम स्थान पर स्थित है। शनि व शुक्र का संयुक्त प्रभाव व्यक्ति के प्रयासों में सफलता दर्शाता है।
इस साल आपके कार्यो में काफी उतार चढाव देखने को मिलेंगे। अधिकारियों से विवाद हो सकता है। इस समय आपके कार्यो में विरोधी अनेक कमियां निकालेंगे और आपकी गलतियों पर नजर रखेंगे। फरवरी और मार्च माह आपके कार्यो में दिक्कत दे सकता है। दशम स्थान पर सूर्य का गोचर तथा राहु- गुरु का प्रभाव कार्य क्षेत्र को प्रभावित करेगा। इस समय आपको सावधानी पूर्वक कदम उठाना होगा। आपको कार्य में अचानक से अनेक समस्या आ सकती है। ये समस्या 25 से 35 दिन तक आपको प्रभावित करेंगी।
जून माह से आपके कार्यो में राहत होगी इस समय शिक्षार्थी तथा नौकरी की तैयारी करने वाले जातक विशेष रूप से लाभंवित होंगे। रिसर्च या ज्ञान के लिये यह समय उत्तम रहेगा। गुरु का लग्न पर प्रभाव धन से दूर अवश्य करता है लेकिन ज्ञान व शिक्षा से जोडता है। शनि की गोचरीय स्थिति वृश्चिक राशि में शुभ नही है। गुस्से या जल्दबाजी से बचना होगा।
उपाय एवम परहेज- इस वर्ष वृषभ राशि के कार्यो में अत्यधिक सुधार होगा। यदि आपको लाभ नही मिल पा रहा होतो अपनी दशाओं की तरफ ध्यान दे तथा निम्न उपाय करें-
1- देवी की उपासना करें। गरीब या विधवा स्त्रियों को सफेद वस्त्र धारण करने को दें।
2- प्रत्येक शनि वार के दिन शनि मन्दिर जाये तथा काली वस्तुओं का दान करना उत्तम रहेगा।
3- गाय को हरी घास खाने को दें।
4- मंगल में बुध की दशा न हो तो ओपल या हीरा धारण करें।
1- देवी की उपासना करें। गरीब या विधवा स्त्रियों को सफेद वस्त्र धारण करने को दें।
2- प्रत्येक शनि वार के दिन शनि मन्दिर जाये तथा काली वस्तुओं का दान करना उत्तम रहेगा।
3- गाय को हरी घास खाने को दें।
4- मंगल में बुध की दशा न हो तो ओपल या हीरा धारण करें।
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