सौरमंडल के राहु-केतु ग्रह के नाम से लोगों को भय का अहसास हो जाता है। इसे
कुंडली में बुरे प्रभावों का जनक भी कहा जाता है। ये तो सभी जानते हैं कि कुंडली
में राहु की उपस्थिति के कारण अनेक कष्टों और विपदाओं को सहना पड़ता है लेकिन क
आप जानते हैं कि हर परिस्थिति में राहु समान प्रभाव नहीं डालता। कुंडली में यदि राहु अशुभ स्थिति में हो तो यह जातक को अनेक कष्ट देता है। लेकिन वहीं दूसरी ओर यदि कुंडली मे राहु शुभ स्थान पर विराजमान हो तो जातक को अपार धन की प्राप्ति होती है।
राहु के अशुभ प्रभाव के अलावा किसी की कुंडली में चतुर्थ भाव में अगर राहु
विराजित होता है तो उसे धनवान भी बना देता है। इस स्थिति में जातक को धन का लाभ
होता है और वह अपना जीवन सभी सुख-सुविधाओं के साथ व्यतीत करता है।
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