मनुष्य
के संपूर्ण जीवन में कई मित्र और शुभचिंतक बनते हैं लेकिन उनमें से सच्चा मित्र
और साथी कौन है, ये बता पाना आपके लिए भी
बहुत कठिन होता है।
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अपने सच्चे मित्रों की पहचान करने के लिए आचार्य चाणक्य ने
एक नीति बताई है जिसमें ऐसी परिस्थितियों के बारे में बताया गया है जिनमें सच्चा
मित्र ही हमारा साथ देता है।
- जो
इंसान दोस्त के सामने तो मीठे वचन बोले किंतु उसकी पीठ पीछे उसके काम बिगाड़े, ऐसा इंसान कभी आपके बुरे समय में काम नहीं
आ सकता।
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किसी भी रिश्ते को उतनी ही ईमानदारी से निभाएं जितना कि सामने वाला उस ईमानदारी
के योग्य हो अन्यथा आपको ही बाद में पछताना पड़ सकता है।
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दोस्तों की परख संकट और जीवनसाथी की परख धन नष्ट होने पर होती है। इन संकटों में
जो हमारा साथ दे वही सच्चा शुभचिंतक होता है।
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कभी भी दूसरों पर आश्रित न रहें।
-
अपने सभी रहस्य अपने मित्रों को न बताएं।
- जो
व्यक्ति धन संबंधी कार्यों में शर्म करता है उसे धन हानि होना निश्चित है।
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