महाभारत काल के अनेक पात्रों से जुड़े 
रहस्य और कथाएं प्रचलित हैं। श्रीकृष्ण की लीला को तो सभी जानते हैं। किस
 तरह धरती पर श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ और उन्होंने किस प्रकार अपने ही 
मामा कंस का वध कर पृथ्वी का उद्धार किया, इस चमतकार से सभी वाकिफ हैं। 
मामा कंस का ससुर था जरासंध जो मगध (बिहार) का राजा था। जरासंध एक क्रूर 
राजा था जो अपनी प्रजा को प्रताडित करता था एवं साथ ही कंस की हत्या के 
कारण वह श्रीकृष्ण से भी नफरत करता था। जरासंध के जन्म और मृत्यु दोनों 
की कथा काफी रोचक है। आज हम आपका जरासंध के जन्म की कथा के बारे में 
बतांएंगें।
मगधदेश के राजा बृहद्रथ निसंतान थे। संतान 
प्राप्ति की इच्छा से राजा एक साधु के पास गए एवं उस साधु ने राजा 
बृहद्रथ को मंत्र पढ़ कर एक आम दिया और कहा – राजन, यह आम अपनी पत्नी को 
खिला देना, वह गर्भवती हो जाएगी।
राजा बृहद्रथ आम लेकर महल लौट आये। अब उनकी
 परेशानी यह थी कि उन्होंने जुड़वां कन्याओं से शादी की थी और वह दोनों से 
बराबर प्रेम करते थे। उन्होंने उन दोनों को इस तरह से रखा था कि कोई भी 
उपेक्षित महसूस न करे और न ही कोई अपने को दूसरे से अच्छा समझे। अब राजा 
समझ नहीं पा रहे थे कि वह यह आम किसे दें। इन रानियों का जीवन तब तक अधूरा 
था, जब तक कि वे राजा के लिए एक बेटा पैदा न करें। ऐसे में अपनी उदारता का 
परिचय देते हुए राजा ने दोनों पत्नियों को आधा-आधा आम देने का फैसला किया।
जीवित बच्चे को लेकर जरा महल में पहुंची और
 राजा को सारी कहानी सुनाई। अपने पुत्र को देखकर राजा और दोनों रानियां 
अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने उसका नाम जरासंध रखा।
यही बालक बड़ा होकर बहुत ही निर्दयी और 
ताकतवर शासक बन गया। चक्रवर्ती राजा बनने के लिए उसने कई राजाओं की बलि दी 
और अंत में भीम के साथ 13 दिन की कुश्ती के पश्चात् श्रीकृष्ण के इशारे 
पर भीम ने जरासंध को पराजित कर उसका वध कर दिया।

 
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