Tuesday 28 June 2016

क्या आप भी हैं राक्षस गण के ?


हमारे आसपास हमेशा ही नकारात्‍मक और सकारात्‍मक दोनों प्रकार की ऊर्जा फैली रहती है लेकिन हम इन्‍हें महसूस नहीं कर सकते हैं। इन्‍हें देख पाना मुश्किल होता है लेकिन कुछ लोग इन्‍हें देख और महसूस कर पाते हैं। मनुष्‍य के जन्‍म के संदर्भ में राक्षस गण भी इसी श्रेणी में आता है। इन लोगों को अपने आसपास की ऊर्जा का आभास हो जाता है। सामान्‍य लोगों की अपेक्षा राक्षस गण वाले मनुष्‍य नकारात्‍मक चीजों को जल्‍दी पहचान लेने की क्षमता रखते हैं। तो आइए अब जानते हैं कि राक्षस गण है क्‍या?

राक्षस गण का नाम सुनते ही लगता है कि जरूर कोई नकारात्‍मक शक्‍ति है लेकिन सत्‍य यह नहीं है। ज्‍योतिष शास्‍त्र में प्रत्‍येक मनुष्‍य को तीन गणों में बांटा गया है जिसमें देव गण, मनुष्‍य गण और राक्षस गण सम्मिलित हैं।
शास्‍त्रों के अनुसार देवगण में जन्‍मे जातक उदार, बुद्धिमान, अल्‍पाहारी, दानी और सरल होते हैं। मनुष्‍य गण में जन्‍में जातक अभिमानी, धनी, बड़े नेत्रों वाले एवं धनुर्विद्या में महारत हासिल होती है। इसके विपरीत राक्षस गण को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं। कुछ लोग इसका नकारात्‍मक अर्थ निकालते हैं किंतु यह सही नहीं है।
कैसे पहचानें गण को
किसी भी मनुष्‍य के जन्‍म नक्षत्र अथवा जन्‍म कुंडली के माध्‍यम से उसका गण निर्धारित किया जाता है। माना जाता है कि मनुष्‍य और देव गण वाले लोग सामान्‍य गुण वाले होते हैं जबकि राक्षस गण वाले लोगों में नैसर्गिक गुण पाए जाते हैं। ऐसे लोगों की खासियत होती है कि वह अपने आासपास की नकारात्‍मक ऊर्जा को महसूस कर पाते हैं।

राक्षस गण वाले जातक के गुण
राक्षस गण वाले मनुष्‍य विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं। शास्‍त्रों के अनुसार इनकी छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है जिसकी सहायता से ये मनुष्‍य विपरीत परिस्‍थिति में भी धैर्य का साथ नहीं छोड़ते। इस गण वाले मनुष्‍य साहसी और दृढ़ इच्‍छाशक्‍ति के धनी होते हैं।
इन नक्षत्रों में बनता है राक्षस गण
ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार इन नक्षत्रों में पैदा होने वाले मनुष्‍यों का गण 'राक्षस' होता है -:
  • कृत्तिका
  • अश्लेषा
  • मघा
  • चित्रा
  • विशाखा
  • ज्येष्ठा
  • मूल
  • धनिष्ठा
  • शतभिषा

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