Tuesday 27 September 2016

जानिए मीराबाई के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें


श्रीकृष्‍ण की परम भक्‍त थी मीरा जिन्‍होंनें अपना पूरा जीवन कृष्‍ण भक्‍ति में विलीन कर दिया था। श्रीकृष्‍ण की परम भक्‍त मीराबाई की मृत्‍यु आज भी एक रहस्‍य है। पुराणों में भी मीराबाई की मृत्‍यु का कोई प्रमाण नहीं मिलता। विद्वानों के भी इस विषय में अलग-अलग मत हैं। लूनवा के भूरदान ने मीरा की मौत 1546 में बताई। वहीं डॉ. शेखावत के अनुसार मीरा की मृत्यु 1548 में हुई। आइए जानते हैं मीराबाई के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें -:
- राजस्‍थान के मेड़ता में 1498 ई. में जन्‍मी मीराबाई के पिता मेड़ता के राजा थे। किवदंती है कि मीराबाई को छोटी उम्र में उनकी मां ने यूं ही कह दिया था कि श्रीकृष्‍ण तेरे दूल्‍हा हैं। बस फिर क्‍या था मीरा ने अपना पूरा जीवन इसी बात को सच मानकर गुज़ार दिया।
- उम्र के बढ़ने के साथ-साथ मीरा का कृष्‍ण के प्रति प्रेम भी बढ़ता गया। मीराबाई अपने पति के रूप में श्रीकृष्‍ण को लेकर अनेक कल्‍पनाएं बुनती थीं।
- सन् 1516 में मीराबाई का विवाह राणा सांगा के पुत्र और मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ संपन्‍न हुआ था। एक युद्ध में सन् 1521 में मीराबाई के पति का देहांत हो गया था।
- पति की मृत्‍युशैय्या पर मीरा ने सती होना स्‍वीकार नहीं किया और धीरे-धीरे संसार से विरक्‍त होती चलीं गईं। मीराबाई साधु-संतुओं के साथ भजन-कीर्तन में अपना समय व्‍यतीत करती थीं।
- मीरा के ससुराल पक्ष ने उनकी अपार कृष्‍ण भक्‍ति को राजघराने के प्रतिकूल मानकर उन पर अत्‍याचार करने लगे। इसके बाद मीरा ने अपने सुसराल को छोड़ दिया और कृष्‍ण भक्‍ति करते हुए द्वारका पहुंच गईं।
-मान्‍यता है कि इसी स्‍थान पर कृष्‍ण भक्‍ति में लीन होते हुए वह कान्‍हा की मूर्ति में समा गईं।

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