Thursday 6 April 2017

कुंडली में बन रहा ग्रहण योग कर सकता है आपको बर्बाद, जानें समाधान.......


शुभ और अशुभ योग

ज्‍योतिषशास्‍त्र में कई ऐसे शुभ और अशुभ योगों का वर्णन किया गया है जो अगर किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में बनते हैं तो उस व्‍यक्‍ति के जीवन और उसके भाग्‍य पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। ये शुभ और अशुभ योग या तो उस व्‍यक्‍ति के जीवन को खुशहाली से भर देते हैं या फिर उसे तबाह और बबार्द कर देते हैं।

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ग्रहण योग

अशुभ योगों में कालसर्प दोष, शकट योग, गजकेसरी योग, विषकन्‍या योग आदि आते हैं। ये योग किसी भी व्‍यक्‍ति के जीवन को कष्‍टों से भर देते हैं। इन्‍हीं अशुभ योगों की तरह ग्रहण योगभी होता है जो व्‍यक्‍ति के जीवन पर गहरा असर डालता है। आज हम जीवन पर ग्रहण योग के पड़ने वाले असर के बारे में जानेंगें।

कब बनता है ग्रहण योग

यदि कुंडली में चंद्रमा या सूर्य, राहू और केतु के प्रभावांतर्गत आते हैं यानि राहू-केतु का सूर्य-चंद्रमा से दृष्टि या युति संबंध हो तो उस जातक की कुंडली में ग्रहण योग बनता है। ये योग उस व्‍यक्‍ति को केवल कष्‍ट ही पहुंचाता है।

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कब नहीं देता अशुभ फल

पूर्ण रूपेण ग्रहण योग के निर्माण के लिए इन ग्रहों का स्‍वयं अशुभ स्‍थानों का स्‍वामी होना या फिर इनका अशुभ ग्रहों से कमज़ोर होना आवश्‍यक है। अगर किसी की कुंडली में शुभ भाव में चंद्र-सूर्य स्‍वामी बनकर बैठे हों या राहू-‍केतु का उनके साथ संयोग बन रहा हो तो ऐसी स्थिति में ग्रहण योग से अशुभ फल के स्‍थान पर शुभ फल प्राप्‍त होते हैं।

ग्रहण योग के प्रभाव

अगर कुंडली में ग्रहण योग बन रहा है तो ऐसी स्थिति में जातक को शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है। उसे अपमान, अपनों से अनबन, रोग, कर्ज, कलंक और राजदंड का सामना करना पड़ता है। कुंडली में जिन-जिन भावों पर राहू-केतु की नज़र पड़ रही हो, वह भाव पीडित होकर अपने से संबंधित बुरे फल प्रदान करते हैं।

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कैसे पाएं मुक्‍ति


अगर किसी की कुंडली में ग्रहण योग की वजह से अशुभ फल मिल रहे हैं तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा और सूर्य को मज़बूत करने और राहू-केतु को शांत करने के लिए उपाय करें। राहू-केतु को शांत करने के लिए भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना करें और चंद्रमा को प्रसन्‍न करने के लिए श्‍वेद वस्‍तुओं का प्रयोग और दान करें और सूर्य को प्रबल करने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें। 

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