11 अगस्त को 2016 को गुरू कन्या राशि में गोचर करेगा। कन्या एक दोहरे स्वाभाव वाली राशि है इसलिए यह गोचर कन्य राशि के जातकों में कन्फ्यूजन भर देगा। वो कभी तो बहुत मन से काम करेंगे और कभी छोड़-छाड़ कर किनारे हो जाएंगे।
दो चीजें जो इस गोचर के दौरान अच्छी हो रहीं है उनमें से पहली है कि गुरू राहू को छोड़ रहा है और उस पर जो शनि की दृष्टि पड़ रही थी उससे भी आगे निकल जाएगा। वह जातक जो गुरू की दशा और भुक्ति से गुजर रहे हैं उन्हें इस गोचर का सबसे ज्यादा प्रभाव मिलेगा। तो आइए देखते हैं इस गोचर का 12 राशियों पर प्रभाव:
मेष: गुरू छठे भाव में है जिस कारण सेक्स की ओर आपका आकर्षण जरूरत से ज्यादा होगा। जिसकी वजह से बीमार होने की संभावना भी है।खाना अनियंत्रित हो जाएगा जिसकी वजह से आलस ज्यादा आएगा और इस गोचर के खत्म होते होते अपने वजन में भी वृद्धि देखेंगे।सचेत रहे और ऐसा कुछ न करें जो आपके बदनाम होने का कारण बन जाए। इस गोचर के दस दिन पहले से इसके खत्म होने के 20 दिन बाद तक यह खतरा आप पर बना रहेगा।
वृषभ: गुरू की मूल त्रिकोण राशि यहां 8वें भाव में आती है जिस कारण कई बार गुरू 11वें भाव का स्वामी होने के बाद भी उस भाव के फल नहीं देता।आपका रूझान धार्मिक अनुष्ठानों और कार्यों में ज्यादा रहेगा। इस कारण सामाजिक दायरों का भी विस्तार होगा।आप लव गुरू की भूमिका में भी नजर आएंगे और कुछ ऐसा करेंगे जिससे स्वयं के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचेगी।12वें भाव का स्वामी होने के कारण गुरू बच्चों को कुछ परेशानी में डाल सकता है।
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