भारतीय संस्कारों में रीति रिवाजों के पालन का बड़ा महत्व है। हिंदू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कार्य को करने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए हैं। शास्त्रों में इनका उल्लंघन करना वर्जित है। भगवान शिव को प्रसन्न करने और सभी मंत्रों में सर्वोपरि गायत्री मंत्र के बारे में अवधारणा है कि इस मंत्र का उच्चारण केवल पुरूषों को ही करना चाहिए।
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वैदिक शास्त्रों के अनुसार महिलाएं इस मंत्र का
जाप नहीं कर सकती क्योंकि इसके पीछे हमारे पूर्वजों ने कुछ नियम बनाए थे। दरअसल
इसका एक कारण स्त्रियों का मासिक धर्म है। हिंदू धर्म के अनुसार माहवारी के समय
किसी भी स्त्री को धार्मिक कार्य एवं पूजा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा प्राचीन
समय में स्त्रियां गर्भ के समय भी धर्म कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करती थीं।
इनमें से कुछ नियमों का आज भी माहवारी के दौरान महिलाओं द्वारा पालन किया जाता है।
गायत्री मंत्र की बात करें तो इसका प्रभाव स्त्री
और पुरूषों पर अलग-अलग पड़ता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि कोई स्त्री
रोजाना गायत्री मंत्र का जाप करेगी तो धीरे-धीरे उसका व्यवहार पुरूषों जैसा होता
जाएगा। शास्त्रों की मानें तो इस क्रिया का असर स्त्री के शारीरिक अंगों पर भी
पड़ेगा।
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