शनि के नाम से हर कोई घबराता है। शनि का प्रकोप ही ऐसा है कि इसका नाम सुनते ही लोग कांपने लगते हैं। कहते हैं कि शनि जिस पर प्रसन्न हो जाए उसके वारे-न्यारे कर देता है और जिस पर इसकी कुदृष्टि पड़ जाए उसे राजा से रंक बना देता है। शनि का प्रभाव कुंडली में उसके स्थान और भाव पर निर्भर करता है। आज हम आपको बताते हैं कि शनि किस लग्न के जातक को मालामाल और किसे कंगाल कर देता है -:
मेष: यदि कुंडली के दसवें भाव में इस लग्न में मंगल या शनि विराजमान हो तो यह राजयोग बनता है। इस स्थिति में जातक को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। वह राजाओं जैसा जीवन व्यतीत करता है।
सिंह: इस लग्न में दशम और भाग्य स्थान में सूर्य और मंगल विराजमान हो तो जातक के जीवन में राजयोग बनता है जिसके अंतर्गत यह व्यक्ति धनवान एवं समृद्ध बनता है।
कन्या: अगर इस लग्न में बुध व शुक्र भाग्य स्थान या दशम भाव में एक साथ बैठे हैं तो जातक समृद्ध होता है एवं दूसरों की मदद करता है।
तुला: इस राशि के लग्न में नवम या दशम स्थान पर शुक्र या बुध का एकसाथ होना जातक को राजयोग का फल देता है।
वृश्चिक: यदि इस लग्न में सूर्य व मंगल, नौवें या दसवें भाव में एक साथ विराजमान हों तो जातक का जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
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