ज्योतिष शास्त्र में सुख-समृद्धि के कई उपाय बताए गए हैं किंतु श्री यंत्र एक ऐसा चमत्कारिक यंत्र है जो घर में सुख-समृद्धि के साथ-साथ खुशहाली भी लाता है। यह एक ऐसी विस्मयकारी खोज है जो मनुष्य को हर तरह से शांति प्रदान करता है।
ब्रह्मांड का प्रतीक
श्री यंत्र में बहुत शक्ति होती है एवं
ब्रह्मांड का यह एकमात्र शक्तिशाली प्रतीक है। पूरा ब्रह्मांड इस एक श्रीयंत्र में
समाया हुआ है। ‘श्री यंत्र’ को देवी लक्ष्मी, मां सरस्वती, धन-धान्य और
संपन्नता का प्रतीक कहा जाता है। नियमित रूप से श्री यंत्र की पूजा करने से घर
में मां लक्ष्मी का निवास रहता है। इस पवित्र यंत्र की साधना से धर्म, मोक्ष, अर्थ, काम की प्राप्ति
होती है।
महत्व
श्री
यंत्र को प्रकृतिमयी मां भगवती महात्रिपुर सुंदरी का पूज्य स्थल माना जाता है। यह
एक ऐसा यंत्र है जिसकी आराधना तीनों लोकों के देवी-देवताओं की पूजा के समान है।
नौ चक्रों
से निमिर्त इस यंत्र में पांच शक्ति चक्र और चार शिव चक्र होते हैं एवं इसमें 43
त्रिकोण, 28 मर्म स्थान, 24
संधियां बनती हैं।
शक्ति
मां
लक्ष्मी के स्वरूप ‘श्री यंत्र’ में इतनी शक्ति है कि अगर इसको अभिमंत्रित कर घर अथवा ऑफिस में इसकी स्थापना
की जाए तो निश्चित ही उस स्थान पर संपन्नता का वास होता है। इसे ऊर्जा का भंडार भी
कहा जाता है। सर्वविदित है कि श्री यंत्र की स्थापना से नकारात्मक ऊर्जाओं से
रक्षा मिलती है। इसके प्रभाव में बुरी शक्तियां घर में प्रवेश नहीं कर पातीं।
मान्यता
है कि सबसे ज्यादा प्रभावशाली सोने का श्री यंत्र होता है। चांदी का श्रीयंत्र
पूरे ग्यारह वर्षों तक अपना शुभ प्रभाव देता है तो वहीं तांबे के श्रीयंत्र का
प्रभाव दो साल के पश्चात् ही समाप्त हो जाता है।
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