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Wednesday, 23 November 2016

इन चीजों को खोने से आता है दुर्भाग्य.....


शास्‍त्रों में व्‍यक्‍ति के सुखी जीवन हेतु कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका पालन करने से उसे न केवल सुख की प्राप्‍ति होती है बल्कि उसके जीवन की सारी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। इसी तरह शास्‍त्रों में कुछ चीज़ों को लेकर भी नियम बनाए गए हैं। इन चीजों को खोने से अपशकुन होता है और दुर्भाग्‍य आता है। तो आइए जानते हैं किन चीजों को खोने से आता है दुर्भाग्‍य -:

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- स्‍वर्ण को पवित्र और पूज्‍य कहा गया है। किसी शुभ मुहूर्त में सोना रीदने से घर में लक्ष्‍मी जी का वास होता है। शास्‍त्रों के अनुसार सोना मिलना अथवा गुम होना दोनों ही अपशकुन माने जाते हैं। स्‍वर्ण गुरु ग्रह से संबंधित है इसलिए माना जाता है कि सोने के खोने से गुरु के नकारात्‍मक प्रभाव मिलने शुरू हो जाते हैं।

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-  यदि कान की बाली अथवा ईयर रिंग गुम हो जाए तो यह किसी अशुभ समाचार का संकेत माना जाता है।

- नथनी अथवा नाक की लोंग खोने पर बदनामी एवं अपमान झेलना पड़ता है।

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- यदि किसी का मांग टीका खो जाए तो किसी बड़ी मुसीबत के कारण तनाव हो सकता है।

- गले का हार खो जाए तो सुख-समृद्धि में कमी आती है।

- बाजू बंद के खोने से आर्थिक तंगी तो वहीं कंगन के गुम हो जाने से मान-सम्‍मान की हानि होती है।

- अंगूठी खोने से कोई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या घेर सकती है।

Saturday, 9 July 2016

घर में जरूर रखें ‘श्री यंत्र’, कभी नहीं रूठेगी लक्ष्मी


ज्‍योतिष शास्‍त्र में सुख-समृद्धि के कई उपाय बताए गए हैं किंतु श्री यंत्र एक ऐसा चमत्‍कारिक यंत्र है जो घर में सुख-समृद्धि के साथ-साथ खुशहाली भी लाता है। यह एक ऐसी विस्‍मयकारी खोज है जो मनुष्‍य को हर तरह से शांति प्रदान करता है।



ब्रह्मांड का प्रतीक

श्री यंत्र में बहुत शक्‍ति होती है एवं ब्रह्मांड का यह एकमात्र शक्‍तिशाली प्रतीक है। पूरा ब्रह्मांड इस एक श्रीयंत्र में समाया हुआ है। श्री यंत्रको देवी लक्ष्‍मी, मां सरस्‍वती, धन-धान्‍य और संपन्‍नता का प्रतीक कहा जाता है। नियमित रूप से श्री यंत्र की पूजा करने से घर में मां लक्ष्‍मी का निवास रहता है। इस पवित्र यंत्र की साधना से धर्म, मोक्ष, अर्थ, काम की प्राप्‍ति होती है। 


महत्‍व

श्री यंत्र को प्रकृतिमयी मां भगवती महात्रिपुर सुंदरी का पूज्‍य स्थल माना जाता है। यह एक ऐसा यंत्र है जिसकी आराधना तीनों लोकों के देवी-देवताओं की पूजा के समान है।
नौ चक्रों से निमिर्त इस यंत्र में पांच शक्ति चक्र और चार शिव चक्र होते हैं एवं इसमें 43 त्रिकोण, 28 मर्म स्थान, 24 संधियां बनती हैं।