Thursday, 2 June 2016

एक बार नहीं कई बार हुई थी रावण की हार....


रावण एक कुशल योद्धा और विद्वान था, उसे अनेक शास्‍त्रों और विद्याओं का ज्ञान था। उसकी मृत्‍यु का कारण केवल उसका अहंकार और पापकर्म थे। अधिकतर लोग यही जानते हैं कि रावण को श्रीराम से हार मिली थी लेकिन आपको बता दें कि और भी चार ऐसे योद्धा थे जिनसे रावण की पराजय हुई थी। आइए जानते हैं उन चार योद्धओं के बारे में जिनसे रावण को हारना पड़ा था -:
वानर राज बालि
बालि काफी शक्‍तिशाली था, उसकी गति को मात दे पाना अत्‍यंत मुश्किल कार्य था। एक बार रावण के युद्ध के लिए ललकारने पर बालि ने उसे अपनी भुजा में दबोच कर चार समुद्रों की परिक्रमा लगाई थी। बालि की गति इतनी तेज थी कि वह रोज सुबह ही चारों समुद्रों की परिक्रमा करता था। रावण जैसे महान योद्धा के अत्‍यंत प्रयासों के बावजूद रावण स्‍वयं को बालि की गिरफ्त से छुड़ा नहीं पाया।
दैत्‍यराज बलि
पाताल लोक के राजा दैत्यराज बलि से युद्ध करने रावण उनके महल पहुंच गया था। उस समय राजा बलि के महल में क्रीडा कर रहे बालकों ने ही रावण को पकड़कर अपने घोड़ों के साथ अस्तबल में बंदी बना दिया था। इस तरह पाताल लोक के राजा बलि के महल में योद्धा रावण को हार देखनी पड़ी थी।


सावधान - हर उपाय नहीं हे समाधान.....


कभी-कभी लोग दूसरों के बहकावे में आकर किसी भी ज्‍योतिषी उपाय को अपना लेते हैं लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि अगर किसी चीज का सकारात्‍मक पहलू है तो नकारात्‍मक भी अवश्‍य ही होगा। इसी प्रकार ज्‍योतिषियों द्वारा बताए गए सभी उपाय जरूरी नहीं हैं कि शुभ फल ही दें। कुछ उपाय करने से उसका अल्‍टा फल भी मिलता है। तो आइए जानते हैं ऐसे नकारात्‍मक फल देने वाले उपायों के बारे में -:
– यदि कुंडली में गुरु ग्रह, दसवें या चौथे भाव में है तो कभी भी किसी मंदिर निर्माण के लिए दान न करें। इस कार्य का फल इतना भयंकर हो सकता है कि आप सोच भी नहीं सकते। इसके कारण आपको फांसी तक हो सकती है।
चंद्रमा के बारहवें भाव में विराजमान होने पर साधुओं का साथ नकारात्‍मक फल देता है। इससे परिवार की वृद्धि में रुकावट आती है।
-सप्‍तम और अष्‍टम भाव में सूर्य हो तो तांबे की वस्‍तु का दान न करें, इससे धन की हानि हो सकती है।

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