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Wednesday, 12 April 2017

इस तरह कुंडली में बनते हैं प्रेम विवाह के योग


आधुनिक जीवनशैली के साथ-साथ लोगों की सोच भी आधुनिक हो गई है लेकिन एक चीज़ है जो आज भी नहीं बदली है और वो है विवाह की रस्‍म। अब लोग प्रेम विवाह को ज्‍यादा महत्‍व देने लगे हैं। लेकिन ऐसा कतई भी जरूरी नहीं है कि आप प्रेम संबंध में हैं तो आपका प्रेम विवाह भी निश्चिही होगा।

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शास्‍त्रों में क्‍या है प्रेम विवाह का महत्‍व

हिंदू धर्म में 8 प्रकार के विवाह का विधान है जिसमें ब्रह्मा विवाह को सर्वश्रेष्‍ठ माना जाता है और पैशाच विवाह को सबसे नीचे की श्रेणी में रखा गया है। शास्‍त्रों के अनुसार गंधर्व विवाह को ही प्रेम विवाह कहा गया है। गंधर्व विवाह के अंतर्गत स्‍त्री और पुरुष अपनी मर्जी और अपनी पसंद से एक दूसरे से विवाह करते हैं।

किसका होता है प्रेम विवाह

ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार किसी व्‍यक्‍ति का प्रेम विवाह होगा या नहीं ये उसकी कुंडली से ज्ञात किया जा सकता है। कुंडली में विराजमान ग्रहों की स्थिति से यह पता लगाया जा सकता है कि उस व्‍यक्‍ति के जीवन में प्रेम विवाह का योग है या नहीं। तो आइए जानते हैं कि किस तरह कुंडली से प्रेम विवाह के योग के बारे में पता लगाया जा सकता है।

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- ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कुंडली का सप्‍तम भाव विवाह का भाव होता है। यदि सप्‍तम भाव का संबंध कुंडली के तीसरे, पांचवे, नौंवे या बारहवें भाव से हो तो उस जातक का प्रेम विवाह होता है।

- लग्‍न स्‍थान के स्‍वामी और सप्‍तम भाव के स्‍वामी के बीच युति हो तो ऐसी स्थिति में जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।

- सौरमंडल के ग्रह गुरु और शुक्र विवाह के कारक ग्रह माने जाते हैं। लड़कियों की कुंडली में गुरु का पाप प्रभाव में होना और लड़के की कुंडली में शुक्र का पाप प्रभाव में होना प्रेम विवाह के योग का निर्माण करता है।

- इसके अलावा यदि लग्‍न भाव का स्‍वामी, पंचमेश के साथ युति कर रहा हो या दोनों का आपस में दृष्‍ट संबंध हो या राशि परिवर्तन हो तो उस जातक के प्रेम विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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- सप्‍तम या पंचम भाव या इन भावों के स्‍वामी पर राहु का प्रभाव हो या इन भावों का स्‍वामी तीसरे, पांचवें, सातवें, ग्‍यारहवें या बारहवें भाव में बैठा हो तो उस व्‍यक्‍ति का निश्चित ही प्रेम विवाह होता है।

- यदि कुंडली के नवम स्‍थान में धनु या मीन राशि हो या शनि या राहु की दृष्टि सप्‍तम, नवम या गुरु पर पड़ रही हो तो ऐसी स्थिति में उस जातक के प्रेम विवाह के योग बनते हैं।

Thursday, 6 April 2017

कुंडली में बन रहा ग्रहण योग कर सकता है आपको बर्बाद, जानें समाधान.......


शुभ और अशुभ योग

ज्‍योतिषशास्‍त्र में कई ऐसे शुभ और अशुभ योगों का वर्णन किया गया है जो अगर किसी व्‍यक्‍ति की कुंडली में बनते हैं तो उस व्‍यक्‍ति के जीवन और उसके भाग्‍य पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। ये शुभ और अशुभ योग या तो उस व्‍यक्‍ति के जीवन को खुशहाली से भर देते हैं या फिर उसे तबाह और बबार्द कर देते हैं।

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ग्रहण योग

अशुभ योगों में कालसर्प दोष, शकट योग, गजकेसरी योग, विषकन्‍या योग आदि आते हैं। ये योग किसी भी व्‍यक्‍ति के जीवन को कष्‍टों से भर देते हैं। इन्‍हीं अशुभ योगों की तरह ग्रहण योगभी होता है जो व्‍यक्‍ति के जीवन पर गहरा असर डालता है। आज हम जीवन पर ग्रहण योग के पड़ने वाले असर के बारे में जानेंगें।

कब बनता है ग्रहण योग

यदि कुंडली में चंद्रमा या सूर्य, राहू और केतु के प्रभावांतर्गत आते हैं यानि राहू-केतु का सूर्य-चंद्रमा से दृष्टि या युति संबंध हो तो उस जातक की कुंडली में ग्रहण योग बनता है। ये योग उस व्‍यक्‍ति को केवल कष्‍ट ही पहुंचाता है।

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कब नहीं देता अशुभ फल

पूर्ण रूपेण ग्रहण योग के निर्माण के लिए इन ग्रहों का स्‍वयं अशुभ स्‍थानों का स्‍वामी होना या फिर इनका अशुभ ग्रहों से कमज़ोर होना आवश्‍यक है। अगर किसी की कुंडली में शुभ भाव में चंद्र-सूर्य स्‍वामी बनकर बैठे हों या राहू-‍केतु का उनके साथ संयोग बन रहा हो तो ऐसी स्थिति में ग्रहण योग से अशुभ फल के स्‍थान पर शुभ फल प्राप्‍त होते हैं।

ग्रहण योग के प्रभाव

अगर कुंडली में ग्रहण योग बन रहा है तो ऐसी स्थिति में जातक को शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ती है। उसे अपमान, अपनों से अनबन, रोग, कर्ज, कलंक और राजदंड का सामना करना पड़ता है। कुंडली में जिन-जिन भावों पर राहू-केतु की नज़र पड़ रही हो, वह भाव पीडित होकर अपने से संबंधित बुरे फल प्रदान करते हैं।

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अगर किसी की कुंडली में ग्रहण योग की वजह से अशुभ फल मिल रहे हैं तो ऐसी स्थिति में चंद्रमा और सूर्य को मज़बूत करने और राहू-केतु को शांत करने के लिए उपाय करें। राहू-केतु को शांत करने के लिए भगवान शिव और हनुमान जी की उपासना करें और चंद्रमा को प्रसन्‍न करने के लिए श्‍वेद वस्‍तुओं का प्रयोग और दान करें और सूर्य को प्रबल करने के लिए सूर्य गायत्री मंत्र का जाप करें। 

Monday, 27 March 2017

अपनी राशि के अनुसार जानें कौन-सा रिश्ता आपके लिए है सबसे खास


ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार कुछ ऐसी राशियां होती हैं जिनका अपने किसी रिश्‍ते को बिगाड़ना खुद आपको भारी पड़ सकता है। आपके जीवन में आपके सबसे करीब रहने वाले लोग या खुद आपके दोस्‍त ही आपके लिए घातक बन सकते हैं। जी हां, शास्‍त्रों में कुछ ऐसे रिश्‍तों के बारे में बताया गया है जिनसे झगड़ा करने से खुद आपका ही नुकसान होता है। आइए जानते हैं इन राशियों के बारे में -:

मेष

मेष राशि के लोगों को अपने दादा-दादी और नाना-नानी से बेहद लगाव होता है। इनका स्‍वास्‍थ्‍य आपकी चिंता का विषय रहता है। ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार अपने स्‍वयं के उत्तम स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी आपको अपने ये रिश्‍ते अच्‍छे बनाए रखने की जरूरत है। भगवान शिव का पूजन करने से आपको अपने ये रिश्‍ते सुधारने में मदद मिलेगी।

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वृषभ

वृषभ राशि के जातक अपने भाई-बहन से ज्‍यादा करीब होते हैं। वृषभ राशि के जातकों का अपने भाई-बहन के साथ रिश्‍ता बिगाड़ना इनके करियर के लिए भारी पड़ सकता है। अपने भाई-बहन के साथ मधुर संबंध बनाए रखने के लिए सूर्य को जल चढ़ाएं। रविवार को ये उपाय जरूर करें।

मिथुन

मिथुन राशि के जातकों के संबंध अपने पड़ोसियों से सबसे अच्‍छे होते हैं। अगर आपके संबंध इनके साथ बिगड़ जाएं तो आपकी पर्सनल लाइफ इस वजह से खराब हो सकती है। इसलिए अपने पड़ोसियों को ज़रा संभाल कर रखें। आपको भगवान कृष्‍ण की आराधना करनी चाहिए।


कर्क

कर्क राशि के लोगों को अपने माता-पिता से कभी झगड़ा नहीं करना चाहिए। आपके लिए आपके माता-पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं है। इनसे दूरी या रिश्‍ते में खराबी आपको मानसिक और भावनात्‍मक परेशानी दे सकती हैं। आपको भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए।

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सिंह

सिंह राशि के जातकों को अपने जीवनसाथी के साथ मधुर संबंध बनाए रखने चाहिए। जीवनसाथी के साथ रिश्‍ते बिगड़ना मतलब आपको अवसाद में डुबा सकता है। पार्टनर के साथ मतभेद के कारण आपको सेहत संबंधी परेशानियां भी झेलनी पड़ सकती हैं। आपको हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए।

कन्‍या

कन्‍या राशि के जातकों के जीवन में दोस्‍तों का बहुत महत्‍व होता है। कन्‍या राशि के जातकों के जीवन में दोस्‍त इनके महत्‍वपूर्ण निर्णय लेने में मदद करते हैं। दोस्‍तों से मतभेद करना आपकी आर्थिक परेशानी का कारण बन सकता है। इनसे बेहतर रिश्‍ते बनाए रखने के लिए भगवान विष्‍णु की उपासना करें।

Tuesday, 18 October 2016

जानिए काले घोड़े की नाल के चमत्‍कारिक उपाय और उपयोग....


काले घोड़े की नाल को अत्‍यंत चमत्‍कारिक कहा गया है। मान्‍यता है कि काले घोड़े के पैरों पर शनि देव की कृपा होती है इसलिए जो लोग शनिदेव को प्रसन्‍न करना चाहते हैं या जो शनि के प्रकोप से पीडित हैं उन्‍हें काले घोड़े की नाल से बहुत फायदा होता है। पुराने समय से ही काले घोड़े की नाल के कई चमत्‍कारिक उपयोग और उपाय प्रसिद्ध हैं। काले घोड़े की नाल की उपस्थिति में आपके घर-परिवार से नकारात्‍मक ऊर्जा दूर होती है और घर में खुशियां आती हैं। तो आइए जानते हैं काले घोड़े की नाल के फायदे -:

- शनि देव को प्रसन्‍न करने के लिए काले घोड़े की नाल अत्‍यंत चमत्‍कारी और कारगर मानी जाती है।

- घर के प्रवेशद्वार पर काले घोड़े की नाल लगाने से नकारात्‍मक ऊर्जा और बुरी नज़र आपके घर परिवार से दूर रहती है।

काले घोड़े की नाल को अगर काले कपड़े में लपेटकर अनाज में रख दिया जाए तो कभी अनाज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता।

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अगर आपके ऊपर किसी ने काले जादू का प्रयोग किया है तो काले घोड़े की नाल उस बुरी शक्‍ति को नष्‍ट करती है।

दुकान के बाहर काले घोड़े की नाल को टांगने से दुकान में बिक्री बढ़ती है और शत्रुओं से प्रतिस्पर्धा में भी जीत हासिल होती है।

Saturday, 15 October 2016

आपकी दीवाली की खुशियों को दोगुना कर देगा ये यंत्र, जानिए क्या खास है इस यंत्र में....


धनवर्षा यंत्र कोई साधारण यंत्र नहीं है। इसकी स्‍थापना से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं। यह यंत्र मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने का प्रभावकारी माध्‍यम है। यह यंत्र गुप्‍त आराधना और तपस्‍या करने वाले साधकों द्वारा ही सिद्ध किया जाता है।

श्रीलक्ष्‍मी यंत्र

श्री लक्ष्‍मी यंत्र को स्‍थापति करते ही आपको इसके शुभ प्रभाव मिलने शुरु हो जाएंगें। इस यंत्र के प्रभाव से धन की वर्षा होने लगेगी और बिगड़ते काम भी बनते नज़र आएंगें।


मां लक्ष्‍मी की मूर्ति

धन वर्षा यंत्र की आधिपति मां लक्ष्‍मी हैं। इस यंत्र में मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा है जिसे अपने घर अथवा दुकान में स्‍थापित करने से धन प्राप्‍त होता है, आय के स्रोत बढ़ते हैं और रुका हुआ धन भी प्राप्‍त होता है।

लक्ष्‍मी यंत्र कवच

इस यंत्र में दिए गए लक्ष्‍मी कवच को धारण करने से धन चुंबक की तरह खिंचा चला आता है। यह धन को आकर्षित करने का सबसे सरल माध्‍यम है। इस कवच को व्‍यापारी और नौकरीपेशा लोग धारण कर सकते हैं।


मेरु श्री यंत्र

इस मेरु श्री यंत्र की स्‍थापना से छ: दिशाओं से धन आपके पास आता है। जिस भी दिशा अथवा क्षेत्र में आप धन कमाने का प्रयास करते हैं उसमें आपको निश्‍चित ही सफलता मिलती है।

मां लक्ष्‍मी की चरण पादुका

धन की देवी मां लक्ष्‍मी की चरण पादुका को अत्‍यंत शुभ माना जाता है। पूजा स्‍थल अथवा तिजोरी में मां लक्ष्‍मी की चरण पादुका रखने से आपका धन सदा के लिए सुरक्षित रहता है और उस पर किसी की बुरी नज़र नहीं पड़ती है।

Friday, 14 October 2016

गुजराज के इस मंदिर में होता है हर रोज़ चमत्का्र, जानिए क्या है इस मंदिर का रहस्य .....


गुजराज राज्‍य के वड़ोदरा शहर से 60 किमी की दूरी पर कवि कंबोई गांव में स्थित है भगवान शिव का स्‍तंभेश्‍वर मंदिर। यह मंदिर कई रहस्‍यों से भरा है। इसे गायब मंदिर भी कहा जाता है। स्‍तंभेश्‍वर मंदिर से चमत्‍कारों का गहरा संबंध है एवं इस मंदिर से एक अनोखी घटना जुड़ी हुई है। ये घटना साल में कई बार देखने का मिलती है। आइए जानते हैं इसके बारे में -:


खासियत -:

अरब सागर की खंभात खाड़ी में बना यह मंदिर अद्भुत है। समुद्र के बीचोंबीच होने की वजह से इसका सौंदर्य अद्वितीय है। इस मंदिर की अनोखी घटना समुद्र से ही जुड़ी है। इस मंदिर के दर्शन समुद्र की शांत लहरों में ही किए जा सकते हैं। आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि ऊंची लहरे होने पर स्‍तंभेश्‍वर मंदिर समुद्र में डूब जाता है। इसीलिए इसे गायब मंदिर कहा जाता है। जब समुद्र की लहरें शांत होती हैं तो मंदिर धीरे-धीरे दिखाई देने लगता है। इस मंदिर पर दिन में दो बार ज्‍वारभाटा आता है और मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग का अभिषेक कर वापस लौट जाता है।

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ज्‍वार आने पर मंदिर पूरी तरह से जलमग्‍न हो जाता है। किवदंती है कि ये प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है एवं इस नियम को कभी भी टूटते हुए नहीं देखा गया है। स्‍तंभेश्‍वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि और प्रत्‍येक अमावस्‍या को मेला लगता है। वहीं प्रदोष, पूनम और ग्‍यारस की पूरी रात को यहां चारों प्रहर पूजा की जाती है।

Tuesday, 28 June 2016

क्या आप भी हैं राक्षस गण के ?


हमारे आसपास हमेशा ही नकारात्‍मक और सकारात्‍मक दोनों प्रकार की ऊर्जा फैली रहती है लेकिन हम इन्‍हें महसूस नहीं कर सकते हैं। इन्‍हें देख पाना मुश्किल होता है लेकिन कुछ लोग इन्‍हें देख और महसूस कर पाते हैं। मनुष्‍य के जन्‍म के संदर्भ में राक्षस गण भी इसी श्रेणी में आता है। इन लोगों को अपने आसपास की ऊर्जा का आभास हो जाता है। सामान्‍य लोगों की अपेक्षा राक्षस गण वाले मनुष्‍य नकारात्‍मक चीजों को जल्‍दी पहचान लेने की क्षमता रखते हैं। तो आइए अब जानते हैं कि राक्षस गण है क्‍या?

राक्षस गण का नाम सुनते ही लगता है कि जरूर कोई नकारात्‍मक शक्‍ति है लेकिन सत्‍य यह नहीं है। ज्‍योतिष शास्‍त्र में प्रत्‍येक मनुष्‍य को तीन गणों में बांटा गया है जिसमें देव गण, मनुष्‍य गण और राक्षस गण सम्मिलित हैं।
शास्‍त्रों के अनुसार देवगण में जन्‍मे जातक उदार, बुद्धिमान, अल्‍पाहारी, दानी और सरल होते हैं। मनुष्‍य गण में जन्‍में जातक अभिमानी, धनी, बड़े नेत्रों वाले एवं धनुर्विद्या में महारत हासिल होती है। इसके विपरीत राक्षस गण को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं। कुछ लोग इसका नकारात्‍मक अर्थ निकालते हैं किंतु यह सही नहीं है।
कैसे पहचानें गण को
किसी भी मनुष्‍य के जन्‍म नक्षत्र अथवा जन्‍म कुंडली के माध्‍यम से उसका गण निर्धारित किया जाता है। माना जाता है कि मनुष्‍य और देव गण वाले लोग सामान्‍य गुण वाले होते हैं जबकि राक्षस गण वाले लोगों में नैसर्गिक गुण पाए जाते हैं। ऐसे लोगों की खासियत होती है कि वह अपने आासपास की नकारात्‍मक ऊर्जा को महसूस कर पाते हैं।

Saturday, 25 June 2016

क्या है हर साल जगन्नारथ स्वा‍मी के बीमार पड़ने का रहस्य....


पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर में भगवान विष्‍णु स्‍वयं विराजमान होते हैं। इस मंदिर का महत्‍व इतना ज्‍यादा है कि यहां सच्‍चे मन से मांगी गई हर मन्‍नत पूरी होती है। जगन्‍नाथ मंदिर को चार धाम की यात्रा में से एक महत्‍वपूर्ण धाम माना जाता है। भक्‍तों का विश्‍वास है कि जगन्‍नाथ मंदिर में स्‍थापित भगवान जगन्‍नाथ की प्रतिमा में साक्षात् ब्रह्मा जी वास करते हैं। इस मंदिर के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
वैसे तो जगन्‍नाथ मंदिर के निर्माण से लेकर अवसान तक कई रहस्‍य और चमत्‍कार जुड़े हुए हैं लेकिन आज हम आपको जगन्‍नाथ भगवान के बीमार होने और प्रसाद के रूप में काढ़ा पीने के बारे में बताएंगें।

दरअसल 164 सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन जगन्नाथ भगवान बीमार पड़ जाते हैं और फिर 15 दिन के पश्‍चात् ही भक्‍तों को दर्शन देते हैं।
मंदिर के नियम और परंपरा के अनुसार रथयात्रा से 15 दिन पूर्व जगन्‍नाथ स्‍वामी को देवस्‍नान कराया जाता है जिस कारण उन्‍हें लू लग जाती है और उन्‍हें बुखार आ जाता है।


भगवान जगन्‍नाथ के जल्‍दी स्‍वस्‍थ होने के लिए लौंग, इलायची, चंदन, कालीमिर्च, जायफल और तुलसी पीसकर काढ़ा बनाया जाता है और हर दिन उन्‍हें ये काढ़ा पिलाया जाता है। इसके अलावा उन्‍हें मौसमी फलों का भी भोग लगाया जाता है। मान्‍यता है कि इन पंद्रह दिनों तक जगन्‍नाथ स्‍वामी दर्शन नहीं देते और केवल विश्राम करते हैं। इस अवधि में उन्‍हें राजसी वस्‍त्रों की अपेक्षा हल्‍के वस्‍त्र पहनाए जाते हैं। बीमार पड़ने के आखिरी यानि पंद्रहवें दिन अमावस्‍या को भगवान जगन्‍नाथ को परवल का जूस दिया जाता है।


भगवान को चढ़ने वाले काढ़े और परवल के जूस को भक्‍तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस प्रसाद के बारे में कहा जाता है कि इसको ग्रहण करने से शारीरिक और मानसिक रोग दूर होते हैं।

Friday, 24 June 2016

Death Analysis....

A human being has to undergo three types of death. The final death and rebirth is ensured only when the Sun horoscope becomes ineffective.
There are three types of horoscopes under Vedic astrology. They have several positive and negative effects which decides the death of an individual.



1.     Ascendant horoscope :–

The ascendant horoscope depicts body. It is also known as Lagna horoscope. The person is considered to be dead if the ascendant becomes ineffective for soul to live in it. The human body remains as a ghost until the Sun horoscope showing body does not take birth again. Also   the moon horoscope showing the thought process continues to process unless the mind stops. The nature of the ghosts behavior depends upon the thoughts in the mind at the time of death.


2.     Moon horoscope :–

The moon horoscope depicts mind and thoughts of mind. This situation comes up with the person in coma. The moon horoscope becomes ineffective and stops the thought process while the ascendant and Sun horoscope still alive. The person will remain in coma till the ascendant becomes ineffective. In this case, the ghost does not harm anyone as mind is not working. He wait for the time of rebirth and the Sun horoscope going ineffective.